ख्वाबों के भी ख्वाब होते
रांगों के भी और रंग होते
दुनियां ऐसी जो है ऐसी न होती
गुलाबों में कांटे न होते
कमल किचर में पैदा न होता
एक रुप का आकलन द्ववै नेत्र न होता
गारीबों के तान पर मोती ज़रित वस्त्र होते
अमिरों के पैर फटे होते
महलों से भी कभी खेतों की सोंधी शुगंध आती
मंदिर से अजान, और मस्जीद से घन्टी
एक रूपता की मिसाल सूरज और चाँद होता
हर पल पाक, हर वक़्त राम रहीम होता
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