भाव पुंज की
सीमा तल
कट छल -
तत्छण
कौन बुलाता है
भाव विभोर
करने को
भवातित
स्पन्दन प्रवीण लिए
कौन है, जो
समय रेघ में
एक 'मैं' का
अखिल भान
कराता है
मिलन की
अपूर्व बेला में
आलिंगन का
हर्ष कराता
कौन है, जो
मैं में "मैं" को
विलीन कराता है
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