कभी खाली वक़्त
शांत पहर में
एक गुमनाम आवाज
परिचित सा अपरिचित रुप लिए
इन पुरानी ऊजरते
दिवाल की पपरियों से
अनायास हीं टकराती है, और
एक विचित्र अनुभूती का
अहसास कराती है, कि
कहीं दूर
कोई बुलाता है
अपने अस्तित्व का
सम्पूर्ण विस्तार लिए
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