कौन लेता यहाँ सुध बुध, बस
अंतिम छन का भान
दुख सुख सब छूट गए
लेकर अपनी तान
एक मैं अकेला रह गया
हाड़ मांस का तन
वो भी एक दिन लूट जायेगा
अस्थी कलश के संग
रह जायेगा बस
अग्नी, पृथ्वी और आकाश
कौन लेता यहाँ सुध बुध, बस
अंतिम छन का भान
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