मेरे शहर के मुंडेर पर
परिन्दों की फर्फराहट
अब नहीं सुनाई देती है
बीजलियों के तार जो लटके हैं
लगता है उसी के छुने से
सड़कों पर यह श्याह रंग ज़मा है
एक विरानी है
जो सड़कों को लपेटे हुये है
जो है वो सब आह में लीपटी हुई है
मेरे शहर की गली में
एक मातम सा छाया है
लगता है किसी ने किसी को मात दी है
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