एक कमल
आधार सा खिलता है
कहीं दूर आसमां में
लेकर अपनी कोमलता
इस दुनिया से परे
जहाँ वरणों का कोई भेद नहीं
जहाँ काया का समावेश नहीं
शांत सा अखंड ब्रह्मांड लिए
पंखुरियां फिलाये
आलिंगन सम्पूर्ण लिए
ले चल मुझे
अपने विस्तार में, कि
अब भाता नहीं
शब्दों का
निर्लज अठखेलियां करना
सांसों को भ्रमित करना
वरण कर मेरी प्रार्थना
संबंध प्रगाढ़ लिए
एक कमल आधार लिए
No comments:
Post a Comment