तू ही मेरी रोशनी
तू ही मेरे इल्म की सजा है
तू ही मेरा दर्द, तू ही मेरी दवा है
अब चाहूँ भी तो चाहूँ कैसे
चाहत बर्बाद करती है
तू ही मेरी आरज़ू
तू ही आंसुओं में सजल है
तू ही मेरा पागलपन, तू ही मेरी पनाह है
अब लौटू भी तो लौटू कैसे
तेरी गिरह में मेरा सब कुछ है
तू ही मेरी इंतहा
तू ही मेरी जीवन का छोर है
तू ही दरिया, समन्दर है
अब तड़पा कर क्या लुटता है
अब तो दरस दिखा
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