एहसासों का दंभ लिए
कहाँ चला जाता है तू
ओझल निगाहों से जाता कहाँ है तू
विचारों की शून्यता में
कहाँ खोया जाता है तू
सांसों का लिए जाता कहाँ है तू
एक गैर सी जिंदगी लीये
तन्हाइयों में किसे ढूंढता है
'मैं' के मैल को सहलाता कहाँ जाता है तू
पगडण्डियों के सहारे
एक लौ जालये जाता हूँ
कहीं दूर आसमां को बुलाये जाता हूँ
मौन परी आवाज़ में
किसे बुलाता है
एक शांति कफ़न लिए जाता कहाँ है तू
मेरे रहने का खौफ
मुझसे नहीं है
एक वही है जो खौफ़जदा है
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