Tuesday, March 13, 2018

खौफ



एहसासों का दंभ लिए
कहाँ चला जाता है तू
ओझल निगाहों से जाता कहाँ है तू

विचारों की शून्यता में
कहाँ खोया जाता है तू
सांसों का  लिए जाता कहाँ है तू

एक गैर सी जिंदगी लीये
तन्हाइयों में  किसे ढूंढता है
'मैं' के मैल को सहलाता कहाँ जाता है तू

पगडण्डियों के सहारे
एक लौ जालये जाता हूँ
कहीं दूर आसमां को बुलाये  जाता हूँ

मौन परी आवाज़ में
किसे बुलाता है
एक शांति कफ़न लिए जाता कहाँ है तू

मेरे रहने का खौफ
मुझसे नहीं है
एक वही है जो खौफ़जदा है

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