बड़ा जज़्ब है तेरे सीने में
ए रहमते परवर दिगार
ज़रा उनसे कह दो
मुफलिसी में सब्ज़ है
दिल का हरा होना
बड़ा नाज़ है
उनके इस आइनेपन का
ज़रा उनसे कह दो
फ़तूर ए लरज़ है
दिमाग़ का हुनरमंद होना
ग़ैरों से परहेज़ नहीं
लहरों का समन्दर होना
वाबस्ता अब भी है उनसे
फड़कती हुई आँखों में
रूह का सर्द होना
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