बड़े भावुक और नम्र भाव से
गोधूलि में
उसे निहार रहा था
एक छोटे से गमले में रखे
पनपते
उस कमसिन
नन्ही सी जान को
उसे निहार रहा था
एक छोटे से गमले में रखे
पनपते
उस कमसिन
नन्ही सी जान को
पत्ते श्याह हो चले थे
उदास भरी शाम में
हवा भी मंद मंद बह रही थी
ना जाने किस आंचल
के दुलार में
उदास भरी शाम में
हवा भी मंद मंद बह रही थी
ना जाने किस आंचल
के दुलार में
छत पर
अध् पकी नज़रों से
टकटकी लगाए
कोई उकेर रहा था
एक ग़मगीन ख्वाब
काले बादलों के झुंड से
अध् पकी नज़रों से
टकटकी लगाए
कोई उकेर रहा था
एक ग़मगीन ख्वाब
काले बादलों के झुंड से
समय बीतता गया
उमर घुमर
रात के आग़ोश में
उमर घुमर
रात के आग़ोश में
फर्क बस मैं का था-
कोमलता आँसू बन
रात भर भटकता रहा
उस नन्ही सी जान को
सहलाते हुये
कोमलता आँसू बन
रात भर भटकता रहा
उस नन्ही सी जान को
सहलाते हुये