Thursday, January 25, 2018

आवाज़



उनके कहे पर
जब ज़िक्र होगी
मेरे वर्तमान की;
मेरी ग़ैरहाज़िरी
के ये सुलगते पल
तब भी फ़न उठाएगी

किस चाहत में
सर नवाज़ता हूँ मैं
बुलाता हूँ, अपने आप को
फिर भी
लोगों की पूकार
सुनाई देती है

रहने दो मुझे
इन ठहरे हुए पलों को
एक अन्ज़ान सी लिबास में;
न जाने किस ओर
हवा को निर्भीक बनाएगा


यह पल अनगिनत आवाज़ लिए

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