आसमां तर है
नफ़स-ए-सर्द में, कि
एक बयार सी चली है
मंद मंद भाव लिए हुए
ख़ुमारी ऐसी की
ना रंगों - रंध की चाहत है
ना किसी से शिकवा शिकायत
एक नब्ज़ रब्ध है
सहर होने तलक
P.S.-
नफ़स-ए-सर्द = cold breath
रब्ध = start
सहर = sunrise
COOL BREATH
whole sky is
breathing cold
breezing thoughtful soft
as moments hangover
the cursory sight
away from hues and heights
harbouring no ill to anybody
but a craving heart
till the daybreak
नफ़स-ए-सर्द में, कि
एक बयार सी चली है
मंद मंद भाव लिए हुए
ख़ुमारी ऐसी की
ना रंगों - रंध की चाहत है
ना किसी से शिकवा शिकायत
एक नब्ज़ रब्ध है
सहर होने तलक
P.S.-
नफ़स-ए-सर्द = cold breath
रब्ध = start
सहर = sunrise
COOL BREATH
whole sky is
breathing cold
breezing thoughtful soft
as moments hangover
the cursory sight
away from hues and heights
harbouring no ill to anybody
but a craving heart
till the daybreak
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