शांत परे तालाब में
एक रिस्ते की फुहार नज़र आती है
दुरस्त, किसी अजनबी से
मिलन की तड़प लाती है
प्रतिबिम्ब के सहारे
लचकते हुए
अपने आप को
फलीभूत होते हुए पाया है
रंग भरे आसमान की
छाया को
तेरे देहरी पर
लरज़ते हुए पाया है
दूर देसावर
दैयड़ के मुख से
अपने आप को
देहातीत पाया है
शांत परे तालाब में, निस्तब्ध
कौन वह मुस्कुराता है;
चेहरा फैलाकर
पहचान बताता है
P.S.
daiyad = Magpie Robin bird
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