Sunday, December 11, 2016

हज़ार के नोट


ठोंगे में चिनियाबेदाम की सोंधी सी महक;
हज़ार नोटों की तड़प, औसतन
ज़मीं पर रेंगते हुए दिखती है
कितने दर्द को सहलाया होगा, उसने
जब रुपैये के कटपीस को
हज़ार आहों से तौला होगा
कहानियों में बाबस्ता सहेज कर
रखे जाओगे तुम;
अभी ये है, कभी हम थे
इतिहास के पन्ने, फटेहाल
चिनियाबेदाम की धूल उड़ाएंगे
मस्ती में जियेंगे, मातम मनाएंगे

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