Thursday, July 26, 2018

समय का फलना



दो सूखे पेड़
और लटकती टहनियों के बीच
एक बात सहमी सी
सूनी है

जकड़ है
इन बातों में
क्यों कर कोई
कहीं बुलाता है

अजीब वीरानी है यहाँ 
जिससे पूछता हूँ
वही गिरे पत्तों में
हकिम की दवा ढूंढता फिरता है

अब औरों की
गुंजाइश नहीं
तार तार सा लगता है
समय का फलना यहाँ

एक पर्याय ढूंढता हूँ
अपनों का, अपनों मैं
सभी तो हैं
पर आकाश में तारे टिमटिमाते क्यों हैं 

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