छन छन कर आती है
यादों का यह कारवां, और
कपस सी
कुहूक उठती है
दिलों का गुबार यहाँ
न जाने चैन कहाँ पायेगी -
न जाने किस दिल में
समाएगी
शान्त कब्र सी
शब्दों के पार
हज़ार आवाज़ों में
दिल की आह ढूंढता हूँ
परदानशीन हूँ मैं
फरिश्ते से ज्यादा
आदमी से डरता हूँ, मैं
यादों का यह कारवां, और
कपस सी
कुहूक उठती है
दिलों का गुबार यहाँ
न जाने चैन कहाँ पायेगी -
न जाने किस दिल में
समाएगी
शान्त कब्र सी
शब्दों के पार
हज़ार आवाज़ों में
दिल की आह ढूंढता हूँ
परदानशीन हूँ मैं
फरिश्ते से ज्यादा
आदमी से डरता हूँ, मैं
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