Friday, May 18, 2018

घूप अन्धकार


दीये की बत्ती
आगे से काली पर गयी है
धुआँ दे रही है
जल रही है -
ईंधन मात्र शेष है
केवल बत्ती ही भींगी है
पात्र ने आईने का सबूत ही मिटा लिया है

जिसे फ़िक्र था
कहीं अँधेरे में मिलने का, उसे
बुझते दिए की लौ ने
अंतिम छन
पूरा कर दिया -
अँधेरे ने उजाला कर दिया

बुझते दिए की लौ
आश्रित है, कहीं
ठहराव लिए

कोई
अनवरत सी चल रही है -
घूप अन्धकार
देखो
उत्तम, भरपूर

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