Thursday, June 15, 2017

ऐ दोस्त



अपनी नजदीकीयों में
ऐ दोस्त
एक कफ़न पास रखना
न जाने कितनी वार सहेगी
ये जिंदगी
कभी तो तुम्हारे पास रहने की
इजाजत देना, मेरे दोस्त

अपनी नजदीकीयों में
ऐ दोस्त
एक क़ब्र छुपाये रखना
न जाने किन किन रंगों से
काफिला रंज होगा
कभी तो अपनी बातें होंगी
कभी पास आने का बहाना होगा

अपनी नजदीकीयों में
ऐ दोस्त
सितारे को टिमटिमाते रहना
न जाने किस श्याह से
भ्रमित आत्मा को नज़र लग जाये
बैठेंगे साथ हम दोनों


जनम जनम आवारगी लिए हुए

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