Monday, October 3, 2016

वीर गीत

प्रत्यंच चढ़ा, और भेद गगन को सौर्य भाल पर खींच दे वीर लकीर धार चढ़ा, और साध ज्ञान - ध्यान को शरमा जाये अनल भी देख यह तेज़ प्रचण्ड कर भूजा फौलाद का बांधकर शूर मूल पटल धरा पर न्योछावर कर दे प्राण धन्य, धन्य हों माँ के वीर सपूत जिसने दिया वंश, और कण, कण में वीर गीत

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