Monday, September 5, 2016

दहर


कौन पनपता है वहाँ
ख्वाबों के झूर्मूठ में
अंगीनत सी राह पर
परिन्दों का परवाज लिये
अगर कबूल हो जाती
हर किसी की दुआ यहाँ
कौन रहता इस दहर में
जीवन भर लरखराने के लिये
जो हम दफन हो जायें
मरते वकत दिल निकाल लेना
अमानात ए आह्वाब होते नहीं
साथ जाने के लिये
दहर = दुनिया, World
आह्वाब = दोस्त, Friend

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