Saturday, July 2, 2016

परछाई



झूकती हुई परछाई से
मैने पुछा:
क्या सबब है तेरे इस आख्तियार का?
बड़े शुकुन से वो बोला:
रहम खुदा की
कि लोग महफिल जमा करते हैं
बात की चोट से
मुझे तो रोशनी में
अपनी परछाई नापनी आती है

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