Saturday, September 6, 2014

दर्द ए रूह


झूठी शान ओ शौक़त
चढ़ी हो जब
चमकती झिल्लियों पर
कांपती क्यों नहीं है, दर्द ए रूह
इस खुदगर्ज़ ज़माने की

लगें हैं सब,
बेच का, ज़मीर अपना
वफ़ा से खिलवाड़ करने;
कब तक हलाल करते रहेंगे, लोग
गरीबों की रूह को

लहू का रंग अब पानी सा
नज़र आता है
हर आदमी प्यासा है
मोटरकार रोक कर, चौराहे पर
मुहसिन को भी सज़ा देते हैं
....................................
Meanings:
शान = Proud
कांपती = Tremble
खुदगर्ज़ = Selfish
ज़मीर = Heart
वफ़ा = Faith
रूह = Soul
मुहसिन = Friend of God

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