न जाने कौन सा लम्हा
आह,
करवटें लेती है ;
गुलज़ार करती है तन्हाई
फरिश्ते -ऐतबार करने को !
मौत भी चुनिन्दा, अपनी पसंद
बंद साँसों में तलाशती है,
ये वही घेरा है
जिसे सब नज़रअंदाज़ करते हैं
आह,
करवटें लेती है ;
गुलज़ार करती है तन्हाई
फरिश्ते -ऐतबार करने को !
मौत भी चुनिन्दा, अपनी पसंद
बंद साँसों में तलाशती है,
ये वही घेरा है
जिसे सब नज़रअंदाज़ करते हैं
No comments:
Post a Comment