Friday, May 9, 2014

फिरकत


हर दिवाली आतिश
हर रंग होली
हर क्रिसमस सांता
हर लौ रोशनी
हर दूआ क़बूल
फिरकत में है
फिर तू क्यूँ ?

हर मौज दरिया
हर ठेस बुलावा
हर मौसम परिंदा
हर लब्ज़ वजू
हर साँस तेरा
फिरकत में है
फिर तू क्यूँ ?

हर सहर सूरज
हर वफ़ात वजूद
हर शाम शबनम
हर शक्ल आईना
हर शान बुलन्दी
फिरकत में है
फिर तू क्यूँ ?

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