सफ़ेद कागज पर उभरती हुई लकीरें
कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है
सम्बंधों की ये दूरियाँ
भारी मन
यह लंबी सौगात
चलो अक्षर के पार
सफ़ेद कागज पर उभरती हुई लकीरें
कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है
मौन जमा है
काली काया में
कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है
सांसो की ये उथल पुथल
भारी मन
आँखे बंद
चलो, चलें उस पार
सफ़ेद कागज पर उभरती हुई लकीरें
कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है
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