Tuesday, August 2, 2016

कुछ गुम सा है



सफ़ेद कागज पर उभरती हुई लकीरें
कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है
सम्बंधों की ये दूरियाँ

भारी मन
यह लंबी सौगात
चलो अक्षर के पार

सफ़ेद कागज पर उभरती हुई लकीरें
कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है

मौन जमा है
काली काया में

कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है

सांसो की ये उथल पुथल

भारी मन
आँखे बंद

चलो, चलें उस पार
सफ़ेद कागज पर उभरती हुई लकीरें

कुछ गुम सा है
कुछ गुम सा है

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