हजार तन्हाई वीच
ओंठ लब्दी है
मुकदी नहीं, इबादत
की हज़ार मिन्नतें
गल जो, मैंनू
खामोशी से
सराबोर कर गई ,
मेरे दिल वीच मुकदी है
करदे हैं सब
फकीरां दी गल्लां ,
बेपर्दा वक़्त भी
नज़रें मोड़ लेंदी है
मैंनू की लोर पै गई !
हज़ार बार लफ्ज़ वीच
"रब दा वास्ता "
हिलोर करदी है !
ओंठ लब्दी है
मुकदी नहीं, इबादत
की हज़ार मिन्नतें
गल जो, मैंनू
खामोशी से
सराबोर कर गई ,
मेरे दिल वीच मुकदी है
करदे हैं सब
फकीरां दी गल्लां ,
बेपर्दा वक़्त भी
नज़रें मोड़ लेंदी है
मैंनू की लोर पै गई !
हज़ार बार लफ्ज़ वीच
"रब दा वास्ता "
हिलोर करदी है !
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