Wednesday, September 4, 2019

ख्वाबों के ख्वाब



ख्वाबों के भी ख्वाब होते
रांगों के भी और रंग होते
दुनियां ऐसी जो  है ऐसी न होती

गुलाबों में कांटे न होते
कमल किचर में पैदा न होता
एक रुप का आकलन  द्ववै नेत्र न होता

गारीबों के तान पर मोती ज़रित वस्त्र होते
अमिरों के पैर फटे होते
महलों  से भी कभी खेतों  की सोंधी शुगंध आती

मंदिर से अजान, और मस्जीद से घन्टी
एक रूपता की मिसाल सूरज और चाँद होता
हर पल पाक, हर वक़्त राम रहीम  होता

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