Friday, September 6, 2019

छांव



उनकी सागीर्दगी का सबब 
एक बेजुबान दास्तां है
लाख कोशिश टके हैं 
पहजगार के लिए
वर्ना 
हयात-ए-फकीरी का तलबगार
गोया
मैं भी हुं, और तुम भी
यह खुला दिल है
वरक है, सबके छांव के लिए 

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हयात = Life
वरक = Leaf
पहजगार = Control of senses

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