Friday, September 6, 2019

मेरे शहर में



मेरे शहर के मुंडेर पर
परिन्दों की फर्फराहट
अब नहीं सुनाई  देती है

बीजलियों के तार  जो लटके हैं
लगता है उसी के छुने से
सड़कों पर यह श्याह रंग  ज़मा  है

एक विरानी है
जो  सड़कों  को लपेटे हुये है
जो है वो सब  आह में लीपटी हुई है

मेरे शहर की गली  में
एक मातम सा छाया है
लगता है किसी ने किसी को मात दी है

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