Wednesday, September 4, 2019

दृष्य



कल उनसे जब
मेरे 'मैं' का सामना होगा
न  गुलामी का वो सितम रहेगा
न फिक्रमन्दी का सोटता गम
एक हौसला परोसा जायेगा
जिसके हजार तने होंगे
उन हजार तनों पर
स्वादिष्ट फल मुस्करायेंगे
एक स्वर्णीम् भान का मधुर अहसास लिए
पेड़ों पर फिर से
पत्तों के झूर्मूठ के बीच
चहचहाहट गुंज उठेगी
तन्हाई का नाश होगा
एक नई सुबह का भाल लिए
कोई फिर आयेगा, और मुझे
स्वाणीम् रथ पर सवार करके
ललाट पर आभामंडल का
असंख्य प्रकार लिए
जग का
एक अप्रतिम दृष्य दिखायेगा

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