Wednesday, July 4, 2018

आदमी से डरता हूँ

छन छन कर आती है
यादों का यह कारवां, और
कपस सी
कुहूक उठती है
दिलों का गुबार यहाँ

न जाने चैन कहाँ पायेगी -
न जाने किस दिल में
समाएगी
शान्त कब्र सी
शब्दों के पार

हज़ार आवाज़ों में
दिल  की आह ढूंढता हूँ
परदानशीन हूँ मैं
फरिश्ते से ज्यादा
आदमी से डरता हूँ, मैं

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